Sula Vineyards IPO the market leader of the Indian wine segment better : किन निवेशकों के लिए है इंडियन वाइन सेगमेंट की मार्केट लीडर सुला वाइनयार्ड्स का IPO
Sula Vineyards IPO in Hindi : एक और शराब कंपनी ने शेयर बाजार में एंट्री कर ली है। भारतीय वाइन सेगमेंट में मार्केट लीडर सुला वाइनयार्ड्स का आईपीओ खुल गया है। निवेशक 14 दिसंबर तक इसे सब्सक्राइब कर सकते हैं। इसका प्राइस बैंड (सुला वाइनयार्ड्स आईपीओ प्राइस बैंड) 340 से 357 रुपये रखा गया है। इस आईपीओ में कम से कम 42 शेयरों के लॉट में पैसा लगाना होगा।

सुला वाइनयार्ड्स आईपीओ इस आईपीओ के जरिए 960 करोड़ रुपए जुटाने की योजना बना रहा है। यह आईपीओ ऑफर फॉर सेल के रूप में है। इसके जरिए संस्थागत निवेशकों को अपने कुछ शेयर बेचने का मौका दिया जा रहा है। कंपनी से जुड़े कई और लोग भी अपनी होल्डिंग का बड़ा हिस्सा बेचेंगे।
सुला के प्रवर्तक, जिन्होंने एक साल पहले 164 रुपये की भारित औसत लागत पर शेयर खरीदे थे, इस आईपीओ में कुछ हिस्सेदारी बेच रहे हैं। इसके अलावा परिवार की एक सदस्य रूटा सामंत की ओर से करीब ढाई फीसदी हिस्सेदारी बेची जाएगी। रूटा ने पिछले तीन साल में मुफ्त कीमत पर हिस्सेदारी खरीदी थी। रूटा को गैर-प्रवर्तक के रूप में वर्णित किया गया है। इनके अलावा प्रमोटर परिवार की दोस्त करिश्मा सिंह को भी इसी अवधि में करीब 1.3 फीसदी हिस्सेदारी मिली है। वह इसका करीब आधा हिस्सा बेच भी रही है।
सहारा सुला वाइनयार्ड क्या करता है? (सुला वाइनयार्ड्स का व्यवसाय)
सुला वाइनयार्ड्स वर्ष 2009 से भारतीय वाइन सेगमेंट में मार्केट लीडर है। इस बाजार में इसकी 52 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी है। यह चार मूल्य श्रेणियों में वाइन बेचता है। एलीट कैटेगरी में कीमतें 950 रुपये से ऊपर हैं। प्रीमियम कैटेगरी के दाम 750 से 950 रुपये हैं। इकोनॉमी श्रेणी के उत्पादों की कीमत 400 रुपये से 700 रुपये के बीच है और लोकप्रिय श्रेणी के उत्पादों की कीमत 400 रुपये से कम है। कंपनी के कई वाइन ब्रांड हैं। इसका मुख्य ब्रांड सुला है। इसके अलावा उसके पास डिंडोरी, मदेरा और दिया जैसे ब्रांड भी हैं। देश भर में 8000 से ज्यादा रेस्टोरेंट और होटलों के अलावा 13 हजार 500 से ज्यादा रिटेल आउटलेट्स पर इसके उत्पाद बेचे जाते हैं।
शराब बाजार में, सुला वाइनयार्ड्स फ्रेटेली वाइन और ग्रोवर ज़म्पा जैसी कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा करती है। इनकी बाजार हिस्सेदारी 20 फीसदी और 11 फीसदी है। सुला की महाराष्ट्र और कर्नाटक में चार फैक्ट्रियां हैं। इनके अलावा उसने इन राज्यों में दो फैक्ट्रियां लीज पर ली हैं। उनका अनुबंध 12 साल के लिए है।
सुला वाइनयार्ड वाइन टूरिज्म सेगमेंट में भी है। यह अपनी संपत्तियों में यह धंधा करता है। वहां यह शराब के कारोबार से जुड़ी सेवाएं देती है। यह व्यवसाय अपनी कमाई में 9 प्रतिशत से भी कम का योगदान देता है।
सुला वाइनयार्ड्स की कमाई कैसी है? (सुला वाइनयार्ड्स के वित्तीय)
सुला वाइनयार्ड्स का व्यवसाय कोविड महामारी से बहुत जल्दी उबर गया है। कंपनी ने कुछ सहायक कंपनियां भी बेची हैं। इसे समायोजित करने के बाद वित्त वर्ष 2022 में सुला की आय में वित्त वर्ष 21 की तुलना में 27 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। वित्त वर्ष 22 में सुला की आय 453.9 करोड़ रुपये थी। इस अवधि के दौरान एबिटडा मार्जिन 12 फीसदी से बढ़कर 26 फीसदी हो गया। एक साल पहले कंपनी का नेट प्रॉफिट 3 करोड़ रुपए था। FY2022 में 52.1 करोड़।
चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में सुला का राजस्व एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले 30 फीसदी बढ़कर 224.1 करोड़ रुपये हो गया। पिछले साल कोविड की दूसरी लहर की वजह से बिक्री प्रभावित हुई थी। इस वित्त वर्ष की पहली छमाही में एबिटा मार्जिन 29 फीसदी पर पहुंच गया। कंपनी का कहना है कि प्रीमियम उत्पादों की बिक्री बढ़ने और कीमतों में बढ़ोतरी से मुनाफे में सुधार हुआ है। निवेशकों को यह देखना होगा कि क्या इस तरह के ऊंचे मार्जिन को बरकरार रखा जा सकता है या नहीं। सितंबर के आखिर में कंपनी पर करीब 210 करोड़ रुपये का कर्ज था।
वैल्यूएशन कैसा है? (मूल्यांकन सुला वाइनयार्ड्स आईपीओ)
सुला वाइनयार्ड्स आईपीओ की कीमत FY23 की वार्षिक आय का 47 गुना और FY22 की आय का 52.5 गुना है। इसे काफी एग्रेसिव प्राइसिंग कहा जाएगा क्योंकि कंपनी के प्रॉफिट का ट्रैक रिकॉर्ड छोटा है। यूनाइटेड स्पिरिट्स और रेडिको खेतान जैसी कुछ सूचीबद्ध शराब कंपनियां 54 और 80 के पीई पर कारोबार कर रही हैं।
कैसा है सुला वाइनयार्ड्स का आईपीओ? (क्या सुला वाइनयार्ड्स का आईपीओ अच्छा है?)
इस आईपीओ के बाद सुला वाइनयार्ड्स में प्रमोटर की हिस्सेदारी घटकर 27.3 फीसदी रह जाएगी। शराब कारोबार के साथ कई नियामकीय जोखिम भी जुड़े हुए हैं। सरकारें नियम कानून बदलती रहती हैं। कंपनी के कारोबार का ऑपरेटिंग मार्जिन भी अत्यधिक अस्थिर है। ये चीजें सुला वाइनयार्ड्स के कारोबार के लिए जोखिम हैं। इसलिए यह आईपीओ ऐसे निवेशकों के लिए ज्यादा फिट नजर आता है, जो लंबे समय के लिए निवेश करते हैं और बाजार का ज्यादा जोखिम झेलने की क्षमता रखते हैं।
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