कृषि कानूनों को लेकर देश के अलग-अलग हिस्से के किसान दिल्ली की सीमा पर डटे हैं और प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने इन कानूनों को लागू करने पर अस्थाई तौर पर रोक लगा दी है और इसकी समीक्षा के लिए कमेटी भी बनाई है। किसान कानून को लेकर जारी सियासत के बीच वरिष्ठ पत्रकार पुण्य प्रसून बाजपेयी का भी एक ट्वीट इस बीच सामने आया। अपने ट्वीट में प्रसून बाजपेयी ने लिखा- दो मिनट का मौन, संसद, सियासत और सुप्रीम कोर्ट। पुण्य प्रसून बाजपेयी के इस पोस्ट को देख कर लोग उनपर भड़कने लगे।
ऐसे में एक यूजर ने कहा- ‘क्रांतिकारी पत्रकार हाशिये पर’। रवि दुबे नाम के शख्स ने कहा- दो मिनट का मौन तुम्हारे लिए भी। जिसे देश की सुप्रीम कोर्ट, संसद में भरोसा नहीं है। एक यूजर ने गुस्से में कहा- अम्बेडकर की व्यवस्था की जरा तो लाज रख लेते कांग्रेसी पत्रकार।’ हिंदू मॉन्क नाम के अकाउंटस से कमेंट आया- दलाली की पुड़िया फ़ाक कर मौन हो गये लोग, देश की गरिमा पर सवाल कर रहे हैं।’
तो किसी ने कहा- कभी अपने पर मौन करके सोचो, पर्दे के पीछे क्रांतिकारी योजना फ़ेल कैसे हो गई आपकी? ऋषि नाम के शख्स ने लिखा- बहुत क्रांतिकारी पत्रकार, खालिस्तानी आंदोलन में क्रांति लाने की कोशिश करते हुए। एनके दुबे ने लिखा- संसद,सरकार,सुप्रीम कोर्ट किसी की भी मानने की जरूरत नहीं। चलो लौट चलें पाषाण काल में। एक यूजर ने प्रसून के अंदाज में रही उन्हें जवाब देते हुए लिखा- दो मिनट मौन पत्रकार…ईमानदारी….देशभक्ति….शहीद..ईमान और शर्म को।
कई यूजर पुण्य प्रसून बाजपेयी की बात से इत्तेफाक भी रखते नजर आए और किसान बिल पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर नाराजगी जाहिर करते दिखे। एक यूजर ने कमेंट कर कहा- सुप्रीम कोर्ट के न्याय का तरीका ही अलग है।
संसद….
सियासत….
सुप्रीम कोर्ट….— punya prasun bajpai (@ppbajpai) January 13, 2021
बता दें, किसान आंदोलन को लेकर सुनवाई के दौरान CJI एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई और इस आंदोलन को हैंडल करने को लेकर ‘निराशा’ जताई। इससे पहले कोर्ट ने यह भी कहा गया है कि अगर कोई हल न निकला तो इन कानूनों पर रोक लगा दी जाएगी।
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